खुद से गर गुमशुदा नहीं होता
खुद से गर गुमशुदा नहीं होता
दर्द दिल में जमा नहीं होता
हर समय एहतियात रखनी है
कहके तो हादसा नहीं होता
आँसुओं के बगैर दुनिया में
कर्ज़ गम का अदा नहीं होता
बात हालात की भी होती है
हर कोई बेवफा नहीं होता
ज़िन्दगी काट दी अकेले ही
अब किसी से गिला नहीं होता
कल क्या होगा न जानता कोई
वक़्त का रुख पता नहीं होता
इश्क का आसमान है सारा
कोई तय दायरा नहीं होता
खेल जो मौत ज़िन्दगी का है
किसको ये खेलना नहीं होता
‘अर्चना’ गम न तुम करो इतना
वक़्त ये एक सा नहीं होता
25-03-2020
डॉ अर्चना गुप्ता
मुरादाबाद