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6 Dec 2017 · 1 min read

खुद पे विश्वास

खुद पे विश्वास….
…………………….

घुट- घुट कर जीना छोड़ दे
हवा के रूख को मोड़ दे
उठना है तुझे अम्बर तक
भरम गीरने का छोड़ दे
हिम्मत को औजार बना
मंजिल की पहचान कर
छोड़ भरम दुनिया का
खुद पे तूं विश्वास कर।

राहो में तूफान मिलेंगे
एक नहीं कईबार मिलेंगे
मुश्किलों के वार कई
तेरे सर पे आन गीरेंगे
डरना नहीं इन बाधाओं से
लक्ष्य का संधान कर
छोड़ भरम दुनिया का
खुद पे तूं विश्वास कर।

पर्वतों को काट कर तू
रास्ते अपना बना ले
कर फतह मंजिलों को
अबकी दुनिया को दिखादे
रुक न जाना पथ में प्यारे
बाधाओं से हार कर
छोड़ भरम दुनिया का
खुद पे तूं विश्वास कर।

हार कर तुम रुक नजाना
अपनी किस्मत खुद बनाना
हाथ की अपनी लकीरें
देखना पर डर न जाना
इन लकीरों से तूं हटकर
कर्म को स्वीकार कर
छोड़ भरम दुनिया का
खुद पे तूं विश्वास कर।
………
©®पं.संजीव शुक्ल “सचिन”
6/12/2017

Language: Hindi
615 Views
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