खुद को तुम भी समझा लेना, !
खुद को मैंने समझाया है,
खुद को तुम भी समझा लेना,
चिन्ता और तनाव मे आकर,
अपनी चिता में आग न लगा लेना ।
जीवन का पहलु एक नहीं,
दूसरा पहलु भी अपना लेना,
दुःख बिचरे न जीवन पर्यंत,
सुख का भी प्यार कमा लेना।
खुद को मैंने समझाया है,
खुद को तुम भी समझा लेना ।
क्रोध लोभ भय के घबराहट,
बिना धैर्य के जान गवांवत,
पढे लिखे तर्क संगत हो कर,
मुर्खो जैसा व्यवहार जो करे।
रुक जा ठहर जा ! ओ मेरे भ्राता,
परेशानियो से घिरी हुई नारी माता,
नियम सैयम अनुभव भी जानो,
आने वाला कल है आज को बदलो।
खुद को मैंने समझाया है,
खुद को तुम भी समझा लेना।
रचनाकार
बुद्ध प्रकाश
मौदहा
हमीरपुर।