खुद के
खुद के पांव के नीचे की अग्नि देखो
दूजे के सिर पर जलती है जलने दो
आग भस्म कर देगी ये तो निश्चित है
जरा हवा को थोड़ा और तो चलने दो
ओ ! नादान पतंगे चक्कर लगा रहा
जल जाएगा लौ को तनिक मचलने दो
काठ की हांडी बार बार न चढ़ती है
नहीं मानता तलता है तो तलने दो
आस्तीन के सांप पकड़ में आये हैं
उसको इनके फन को खूब कुचलने दो
समय अगर विपरीत रहे तो मौन रहो
छाती पर भी मूंग दले तो दलने दो
बने रहो अति शांत भले कायर समझे
कपट चाल से छलता है तो छलने दो
मौका पाते ही ढँग से ठोकर मारो
रूप रंग भी बदले अगर बदलने दो
✍️सतीश शर्मा