खुदी बुलंद
आज कुछ लिखा जाये
कलम पकड़ कर हाथ मे
दिमागी जोर डाला जाये
भावनाओं को कुरेद कर
अंदर से निकाला जाये
आज कुछ लिखा जाये
इश्क मुश्क मिलन जुदाई
हुआ बहुत नया किया जाये
हया बेहया जुल्मो सितम
कहां तक अब सोंचा जाये
आज कुछ लिखा जाये
खूबसूरती औ कुदरत को
कब तक निहारा जाये
जीवन-दर्शन अर्थ व्यर्थ
आत्मा परमात्मा खोजा जाये
आज कुछ लिखा जाये
झांक भविष्य प्रयत्नपूर्वक
रूपहला ख्वाब बुना जाये
मन अशांत धड़कने तेज
जल्द तापमान लिया जाये
आज कुछ लिखा जाये
वक्त बीता घर बनाने मे
जोश गया क्या किया जाये
दोस्त खास न बन पाये
हमराह किसे बनाया जाये
आज कुछ लिखा जाये
पत्नी आभार जता चुके
बच्चों का क्या लिया जाये
खुद रहबर खुद हमनवा
खुदी को बुलंद किया जाये
आज कुछ लिखा जाये
स्वरचित मौलिक
सर्वाधिकार सुरक्षित
अश्वनी कुमार जायसवाल कानपुर
प्रकाशित साझा काव्य संग्रह