खुदी को कर बुलंद…
क्या सूरज इसीलिए उगता है कि मूर्गे उसे देखकर बांग दें? तुम समाज की इच्छाओं की वेदी पर अपनी प्रतिभा की बलि चढ़ाने के लिए ही तो नहीं पैदा हुए न। तुम जो हो- तुम जो हो सकते हो- उससे अलग बनने के लिए किसी भी शर्त पर तैयार मत होना..!
क्या सूरज इसीलिए उगता है कि मूर्गे उसे देखकर बांग दें? तुम समाज की इच्छाओं की वेदी पर अपनी प्रतिभा की बलि चढ़ाने के लिए ही तो नहीं पैदा हुए न। तुम जो हो- तुम जो हो सकते हो- उससे अलग बनने के लिए किसी भी शर्त पर तैयार मत होना..!