खुदा हैं हुस्न वाले ये, इन्हें सब याद करते हैं
1222 + 1222 + 1222 + 1222
खुदा हैं हुस्न वाले ये, इन्हें सब याद करते हैं
हमारे दिल की बस्ती को, यही आबाद करते हैं
अजब तूने ग़ज़ब ढाया, बनाके हुस्न वालों को
डुबोते हैं ग़मों में ये, यही दिल शाद करते हैं
बड़े मासूम क़ातिल हैं, ये माहिर हैं अदाओं के
हुनर सब जानते हैं ये, यही बरबाद करते हैं
नज़र जिसपे ये डालेंगे, यक़ीनन मार डालेंगे
जकड़ लेते हैं ज़ुल्फों में, न फिर आज़ाद करते हैं
सुनाते भी ये अच्छा हैं, इन्हें आता है कहना भी
ग़ज़ब के शे’र हैं इनके, यही इरशाद करते हैं