खुदा की शरण
उस खुदा की शरण नफा पाया
आज तक कों नही दगा पाया
चूर होता घमण्ड में नर जब
दर्प पर्दा तभी हटा पाया
दिल किसी का नही दुखाया जब
तब प्रभु के चरण समा पाया
जब करे नेक काम सबके ही
काज अपने तभी वफा पाया
जो भजेगा महेश को हर पल
जिन्दगी पार तब सदा पाया
ईश लीला अजब दिखी सबको
कर किसी के रखा टका पाया
जिन्दगी बीतने लगी झुझते
मधु तुझे हर बात खरा पाया