खुदा का घर इंसान का दिल …
ना जाने क्यों जाती है दुनिया काबे और मदीने में।
या फिर मंदिरों में और गिरजाघरों ,गुरुद्वारों में।
दिल पाक हो इंसा का बंदगी हो जाए घर में ही ,
क्योंकि खुदा कोई मजहब नहीं वोह रहता दिल में।
ना जाने क्यों जाती है दुनिया काबे और मदीने में।
या फिर मंदिरों में और गिरजाघरों ,गुरुद्वारों में।
दिल पाक हो इंसा का बंदगी हो जाए घर में ही ,
क्योंकि खुदा कोई मजहब नहीं वोह रहता दिल में।