✍️खुदगर्ज़ थे वो ख्वाब✍️
✍️खुदगर्ज़ थे वो ख्वाब✍️
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उसके छत पे चली बारिश झमाझम ।
मेरे तन्हा अश्क़ ख़ुद मुझे भीगा गये ।।
दिल इश्क़ की चादर ओढ़कर सोया था ।
खुदगर्ज़ थे वो ख्वाब,नींद से जगा गये।।
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✍️”अशांत”शेखर✍️
07/06/2022