खुदगर्जी या मजहब !
आंखों में हया नहीं ,
और हिजाब की बात करती हो ।
ऐ मशरीफ के रंग में रंगी तितलियों !
अपनी खुदगर्जी के दरम्यान मजहब को ,
क्यों ले आई हो ?
आंखों में हया नहीं ,
और हिजाब की बात करती हो ।
ऐ मशरीफ के रंग में रंगी तितलियों !
अपनी खुदगर्जी के दरम्यान मजहब को ,
क्यों ले आई हो ?