खींचकर हाथों से अपने ही वो सांँसे मेरी,
खींचकर हाथों से अपने ही वो सांँसे मेरी,
वो मृतक देह से सांँसों की रवानी मांँगे।।
सूखे पत्तों सी बिखरती हूँ मैं डाली डाली,
मुझसे हर रूख़ बहारों की कहानी माँगे।।
नीलम शर्मा ✍️
खींचकर हाथों से अपने ही वो सांँसे मेरी,
वो मृतक देह से सांँसों की रवानी मांँगे।।
सूखे पत्तों सी बिखरती हूँ मैं डाली डाली,
मुझसे हर रूख़ बहारों की कहानी माँगे।।
नीलम शर्मा ✍️