खिल गई है धूप
खिल गई है धूप
रात कंखिल गई है धूप
रात कंही गुम हो गई
काले बादल अब
सुबह में बदल गई
आशा की बूंदे
हर जगह बिखर गई
जो चल पड़ी आनंद लहर
हर तरफ उमंग भर गई
तान छेड़ा सुर ने
संगीत नई बन गयी
नजरिये को जो बदला तो
जिंदगी ही बदल गई।
– आनंदश्री