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26 Sep 2020 · 1 min read

खिल उठे फूल (मुक्तक)

मुक्तक- १
खिल उठे फूल ही फूल हर ओर हैं।
खूबसूरत महकते सभी छोर हैं।
भावनाएं जगी जा रही स्नेह की।
बंधनों की रही टूट हर डोर हैं।
~~~~~~~~~~~~~~~~
मुक्तक- २
मुस्कुराहट भरे खूबसूरत अधर।
भावनाएं गई जिस तरह हो ठहर।
अधखुले से नयन कुछ कहे जा रहे।
उठ रही प्रीत के सिंधु में ज्यों लहर।
~~~~~~~~~~~~~~~~~
-सुरेन्द्रपाल वैद्य

Language: Hindi
2 Likes · 2 Comments · 324 Views
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