खिल उठे फूल (मुक्तक)
मुक्तक- १
खिल उठे फूल ही फूल हर ओर हैं।
खूबसूरत महकते सभी छोर हैं।
भावनाएं जगी जा रही स्नेह की।
बंधनों की रही टूट हर डोर हैं।
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मुक्तक- २
मुस्कुराहट भरे खूबसूरत अधर।
भावनाएं गई जिस तरह हो ठहर।
अधखुले से नयन कुछ कहे जा रहे।
उठ रही प्रीत के सिंधु में ज्यों लहर।
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-सुरेन्द्रपाल वैद्य