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28 Feb 2023 · 1 min read

खिलौने वो टूट गए, खेल सभी छूट गए,

खिलौने वो टूट गए, खेल सभी छूट गए,
खेलकूद हुआ कम, साथ में है दूरभाष…

होती सब चाह पूरी, हो गया अब जरूरी
दिन में रहता साथ, रात में है दूरभाष…

गांव में हरियाली थी, मन में खुशहाली थी
गांव की गयी रौनक, बात में है दूरभाष…

मोबाइल जो साथ है, व्यस्त सभी का हाथ है
खाने का समय नहीं, हाथ में है दूरभाष…

©अभिषेक श्रीवास्तव “शिवा”
शहडोल मध्यप्रदेश

1 Like · 827 Views
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