खिले फूलों में तुम्हें ,
खिले फूलों में तुम्हें ,
उपवन की तरह देखा हैं ,
बरसी बदली में तुम्हे ,
सावन की तरह देखा हैं ,
सजे हैं ख्वाब जो ,
मेरी ज़िन्दगी की रहो में ,
हर ख्वाब में तुम्हे ,
दुल्हन की तरह देखा हैं !
रूपेश कुमार