खिलें एक ही बाग में
खिलें एक ही बाग में , बेशक फूल तमाम ।
होता है हर फूल का ,लेकिन अलग मुकाम ।।
दिल मे जिस के पाप की, रही सुलगती आग ।
आए कोयल भी नजर, ….उसे हमेशा काग ।।
रमेश शर्मा.
खिलें एक ही बाग में , बेशक फूल तमाम ।
होता है हर फूल का ,लेकिन अलग मुकाम ।।
दिल मे जिस के पाप की, रही सुलगती आग ।
आए कोयल भी नजर, ….उसे हमेशा काग ।।
रमेश शर्मा.