गधे बिचारे हो रहे
बाइसिकिल से ढो रहे,धोबी वस्त्र तमाम !
गधे बिचारे हो रहे, . नाहक ही बदनाम !!
गलती है ये बीज की, या मिट्टी की भूल !
गमले मे साहित्य के,खिला सियासी फूल !!
रमेश शर्मा.
बाइसिकिल से ढो रहे,धोबी वस्त्र तमाम !
गधे बिचारे हो रहे, . नाहक ही बदनाम !!
गलती है ये बीज की, या मिट्टी की भूल !
गमले मे साहित्य के,खिला सियासी फूल !!
रमेश शर्मा.