खिला खिला मधुमास
नयी कोपलें आ गईं, ..लगे बिखरने पात ।
आया है जब से स्वयं, ऋतुपति ले बारात ।।
मन में जागी प्रेम की, …जिस भी दिन से प्यास ।
उस दिन से हर पल हुआ, एक सुखद मधुमास ।।
महबूबा ने प्यार की, ………पूरी कर दी आस ।
यह जीवन तब से लगे, खिला-खिला मधुमास ।।
रमेश शर्मा.