खिलखिलाते हैं उसे देखकर बहुत से लोग,
खिलखिलाते हैं उसे देखकर बहुत से लोग,
तेरे प्रेम के पंखुड़ियों में प्रेम को उड़ेल रखा है मैंने।
उसके ख़ुश्बूओं को हवा में उछाल रखा है मैंने,
तेरे दिए गुलदस्ते को सँभाल रखा है मैंने।
मेरी कलम से…
आनन्द कुमार
खिलखिलाते हैं उसे देखकर बहुत से लोग,
तेरे प्रेम के पंखुड़ियों में प्रेम को उड़ेल रखा है मैंने।
उसके ख़ुश्बूओं को हवा में उछाल रखा है मैंने,
तेरे दिए गुलदस्ते को सँभाल रखा है मैंने।
मेरी कलम से…
आनन्द कुमार