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29 Aug 2024 · 1 min read

खिलखिलाते हैं उसे देखकर बहुत से लोग,

खिलखिलाते हैं उसे देखकर बहुत से लोग,
तेरे प्रेम के पंखुड़ियों में प्रेम को उड़ेल रखा है मैंने।
उसके ख़ुश्बूओं को हवा में उछाल रखा है मैंने,
तेरे दिए गुलदस्ते को सँभाल रखा है मैंने।

मेरी कलम से…
आनन्द कुमार

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