खाली हाँथ होती है
बाते जो तेरे मेरे दरमियाँ थी उसमें
किसी तीसरे को लाओगे तो दिक्कत होती है
इस इश्क़ में जो पाया, खो के पाया है
इसमे तेरी इनायत कहाँ होती है
जब तू मुझसे बिछड़ कर दूसरे की बाहों में होता है
हर वो रात कयामत की रात होती है
ज़माने के सारे इल्ज़ाम मंज़ूर थे मुझे इश्क़ में
जब तू भी उंगली उठता है तो तकलीफ़ होती है
किस्से बया करते अपने दर्द ए दिल का हाल
बहुत हँसते है हम आज कल, इस हँसी में भी
कोई बात होती है
जाने क्यों हर आहट को तेरी आहट समझने लगती हूँ
जो पलट कर देखती हूँ तो बस खाली हाँथ से होती है
चाँद-तारे तमाम बनावटी खुशियां नही माँगी तुमसे
एक तू साथ दे देता , उसी में तो सारी खुशियां होती है
रो लेते हैं हम तेरी याद में तन्हा अकेले
आँसू पोछने तू आया नही संग मेरे काली रात होती है
सब कहते है सच्चे इश्क़ में लोग फ़ना हो जाते हैं
ज़रा मुझे बताना, ये किस ज़माने की बात होती है
ज़िन्दगी तो पहले भी नागवार थी मुझे
आज एक सांस भी मोहताज़ होती है
हमेशा कहा था मैंने तुमसे, तेरे बिना नही जी सकते
तूने हँस के यही कहा ये भी कोई बात होती है
कितनी आसानी से तू दामन छुड़ा के चल दिया
कैसे जीऊ मैं अब… तुमसे ही तो ज़िन्दगी की शुरुवात होती है