खाली पेड़ रह गए
कांटे निकल गए सभी, बस बेर रह गए।
गिर गए पत्ते मगर खाली पेड़ रह गए।
मर गई इंसानियत शहरों में,
यहां तो बस लाशों के ढेर रह गए।
सुनते हैं कि भीड़ में तन्हा है वो,
तेरे शहर में हम भी अकेले खैर रह गए।
कभी घूमते थे हम दोनों इन गलियों में,
अब तो बस इन सड़कों पर मेरे पैर रह गए।
रोशनी थी कल दोस्ती हमसे भी किसी को,
पर आज तो केवल बैर रह गए।