खाली पीरियड
दसवीं में, मैं(अतुल) और मेरे दो दोस्त ‘दीपक’ और ‘संदीप’ का ग्रुप होता था, संदीप को हम टोटो बुलाते थे, टोटो नाम उसका नोवीं की इंग्लिश की किताब से एक कहानी में बंदर के नाम से रखा था। हम मस्ती करते और स्कूल से कभी कभार बंक भी मारते थे। अमूमन खाली पीरियड में, हम स्कूल के पीछे मैदान में क्रिकेट खेलते थे।
हमारे PT टीचर बहुत लंबे और हट्टे-कट्टे इंसान थे।
स्कूल में कक्षा तक जाने के दो रास्ते थे, जो पहली मंजिल पर था। एक सामने से मुख्य द्वार, और दूसरा स्कूल के पीछे सकरी सीढ़ियों से।
एक बार हम तीनों स्कूल के पीछे खाली पीरियड में खेल रहे थे। दो-तीन टीचर का समूह बाहर जांचने के लिए निकला, जिसमें PT टीचर भी शामिल थे। टीचर को देखकर हम कक्षा की तरफ भागे। मैं और दीपक पीछे के रास्ते से गये।
टोटो ने ज्यादा दिमाग लगाते हुए स्कूल के मुख्य द्वार से जाना ठीक समझा।
आधे घण्टें बाद टोटो क्लास में आया, पूछा तो बोला….
”सालों तुम कहाँ से आ गये, मैं तो आधा घण्टा मुर्गा बनकर आ रहा हूँ”।
हँसते हुए हम टोटो को चिढ़ाने लगे…
देखा, ऐसा ही होता है, जब एक दोस्त अपने दोस्तों का साथ छोड़ता है।