खाली टूटे बर्तन
खाली टूटे बर्तनों को
मैंने हमेशा गमले का शक्ल दिया
छोटे छोटे पेड़ लगाए और
शहर में रह कर भी गांव का नकल किया
मेरी इस आदत ने
खाली जगहों को नया शक्ल दिया
तुम्हारे जाने से
एक खाली पन अन्दर भी है प्राण
कहो कौन सा पेड़ वहां लगाऊं
किस बिधी तुमको वहां उगाऊं
~ सिद्धार्थ