*खारे पानी से भरा, सागर मिला विशाल (कुंडलिया)*
खारे पानी से भरा, सागर मिला विशाल (कुंडलिया)
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खारे पानी से भरा, सागर मिला विशाल
बोला कब समकक्ष है, मेरे नदिया-ताल
मेरे नदिया-ताल, मंद नदिया मुस्काई
बोली मीठा नीर, सृष्टि मुझ ही से पाई
कहते रवि कविराय, नदी से सागर हारे
आए कभी न काम, किसी के सागर खारे
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रचयिता: रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा, रामपुर, उत्तर प्रदेश
मोबाइल 9997615451