:::::::::खारे आँसू:::::::::
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आंख्या के आँसू खारे होगे,
अपने थे वो न्यारे होगे।
कदे रौनक थी घणी छान की,
आज टूटे फूटे ढारे होगे।।
कदे बाग बगीचे खूब खिले,
इब ओड़ै कोठी बंगले चुबारे होगे।
बड़े बड़े घर म्ह एकला रहना,
इब क्यांके वारे न्यारे होगे।
जंगले, झरोखे, खिड़की खोगी,
साच्ची म्ह आज बिचारे होंगे।
यू भाईचारा बी गजब था रै ए,
ईब तरसैं सैं के आग बटवारें होगे।
आँख्या के आँसू खारे होगे,
अपने थे वे न्यारे होगे।
“सुनील सैनी” के भरम सै मन म्ह,
जिंदगी के जख्म हरे सारे होगे।
वा तपिश बी जीन का मकसद सिखावै थी,
क्यूँ दूर म्हारे तै चूल्हे हारे होगे।।
आँख्या के आँसू खारे होगे………
©MSW SunilSainiCENA
Jind (Haryana) 126102.