खाया रसगुल्ला बड़ा , एक जलेबा गर्म (हास्य कुंडलिया)
खाया रसगुल्ला बड़ा , एक जलेबा गर्म (हास्य कुंडलिया)
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खाया रसगुल्ला बड़ा , एक जलेबा गर्म
हलवा दो चमचे चखा ,मालपुआ अति नर्म
मालपुआ अति नर्म , दहीभल्ले थे न्यारे
मधुर मूँग की दाल ,गोलगप्पे अति प्यारे
कहते रवि कविराय ,पेट यों भर-भर आया
प्लेट उठाता कौन ,नहीं खाना फिर खाया
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रचयिता : रवि प्रकाश ,बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 9997 615451