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23 Sep 2020 · 1 min read

खामोश राहें

अतृप्त मन की
मौन इच्छाएं
जान सका न कोई

अंतहीन सफर की
खामोश राहें
पहचान सका न कोई

है हँसती आँखों में
बेपनाह दर्द
मान सका न कोई

नफरतों की बंजर जमीं
प्रेम से उपजाऊ बनानी
ठान सका न कोई

तपते रेगिस्तान सी
बन गयी जिंदगियां
सोच निदान सका न कोई

अल्फाज़ों की पीड़ा
समझे बिना “सुलक्षणा”
बन विद्वान सका न कोई

©® डॉ सुलक्षणा

Language: Hindi
4 Likes · 325 Views
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