खामोश अल्फाज
काश मेरे खामोश अल्फ़ाजों को भी ज़ुबान आ जाती.
तेरी मेरी ज़िन्दगी प्यार का इक नया मोड़ लाती.
मैं तुम में गुम हो जाता और तुम मुझ में समा जाती.
सच में हमारी ये दुनिया मुक्कमल हो जाती.
काश मेरे खामोश अल्फ़ाजो को भी ज़ुबान आ जाती…
हाथों की लकीरों में अगर एक और लकीर बन जाती.
तो हमारी तकदीर भी अपना जोर दिखाती.
तेरी आँखों के पैमाने से मैं भी दो ज़ाम पी लेता.
मेरी ये बे-रंग ज़िन्दगी भी रंगीन हो जाती.
काश मेरे खामोश अल्फ़ाजो को भी ज़ुबान आ जाती…
मैने भी इश्क के दरिया को पार तो किया है.
जुदाई के पत्थरों को अपने सीने पर सहा है.
ये मेरी दिवानगी काश तुझे समझ आ जाती.
मेरे तड़पते दिल को कुछ ठंडक मिल जाती.
काश मेरे खामोश अल्फ़ाजों को जुबान आ जाती.
तेरी मेरी ज़िन्दगी प्यार का इक नया मोड़ लाती…
दीप…✍️