खाओ केक जन्मदिन वाली
दिल के नगर में आज दिवाली
यारों आज न बैठो खाली
खाओ केक जन्मदिन वाली
मिलकर सभी बजाओ ताली
आज नहीं गुमसुम बैठेंगे आज करेंगे शोर।
आज पतंग कटी है मन की थामे कोई डोर।।
खुश हैं बाबा, मस्त है मैया
खूब मचाओ ता -ता- थैया
सज धज बैठे अपने भैया
लगते बिल्कुल कृष्ण कन्हैया
अपने जन्मदिवस पर सज धज कर बन गए चितचोर।
आज पतंग कटी है मन की थामे कोई डोर।।
केक कटी फूटे गुब्बारे
आज तो अपने बारे न्यारे
रख दो अलग किताबें सारी
आज मौज मस्ती की बारी
पढ़ते लिखते, लिखते पढ़ते बहुत हो चुके बोर।
आज पतंग कटी है मन की थामे कोई डोर।।
उंगली आज सभी चाटेंगे
आज मिठाई हम बांटेगे
जमकर हो हल्ला काटेंगे
पापा आज नहीं डांटेंगे
उछल कूद पर मम्मी का भी नहीं चलेगा जोर।
आज पतंग कटी है मन की थामे कोई डोर।।
संजय नारायण