Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
31 Jul 2022 · 2 min read

“ खाइतो छी आ गुंगुअवैत छी “

{ व्यंग }
डॉ लक्ष्मण झा ” परिमल ”
=======================
इ हमर सौभाग्य जे हमर जन्म मिथिला मे भेल ! पैघ भेलहूँ अन्य राज्य मे नौकरी भेटल ! तीन- तीन वरखक पश्चात स्थानांतरण होइत छल ! कखनो लखनऊ ,हिमांचल प्रदेश ,हरियाणा ,पुणे ,मद्रास आ विभिन्य स्थान पर रहबाक अवसर भेटल ! जाहि परिवेश मे रहित छलहूँ ओहिठामक व्यंजन भेटइत छल ! स्वादिष्ट बड़ होइत छल मुदा खाइतो छलहूँ आ गूंगीएबतो छलहूँ ! मेस मे जखन इडली आ दोसा बनैत छल हम टूटी पड़ैत छलहूँ ! कोंची -कोंची केँ खाइत छलहूँ ! मुदा नाटक आ रामलीला क महारथी लोकक सोझा गुंगुअवैत रहित छलहूँ ,
” इ मिथिला व्यंजन नहि थीक “ ! धूर ! एकर नाम नहि लिय !”
किछु दिनक उपरांत गाम सं कनिया आ बच्चा केँ नेने एलहूँ ! बच्चा दूनू केँ इंग्लिश मिडीअम मे द देलियनि ! समय बितल बच्चा लोकनि “मेरे को ,तेरे को” बाजय लगलाह ! भेष -भूषा सहो बदलि गेलनि ! कनिया क मैथिली सेहो ओझरा गेलनि ! आधुनिक परिधान मे रहित मैथिली भाषा संस्कृति ,रीति रिवाज केँ तिलांजलि ओ द देलनि !
हम चौबीसों घंटा अपन गाल तर तंबाकू ,गुटका ,पान पराग इत्यादि रखने रहित छी ! सब संध्या देशी दारू पिबइत छी ! राति मे कनिया चखना आ नीक -नीक मांसाहारी व्यंजन बनबैत छथि ! मुदा एतबा रहितों हम पहिने कहलहूँ हम कुशल कलाकार छी ! गाम दरभंगा वाला हवाई जहाज सं अबैत छी ! इ मिथिला क सबारी नहि थीक ! हाथ मे अनरॉइड मोबाईल रखने छी ओहो मिथिला मैड नहि थीक ! परिधान जे पहिरैत छी सहो आनठाम बनल अछि !
भाषा संस्कृति रीति रिवाज बिसरि गेलहूँ ! तथापि गुंगएनाई नहि बिसरलहूँ ! लैपटॉप ,आधुनिक टीवी , बच्चा सभक अनलाइन क्लास आ गूगल क सेवा समस्त विश्व ल रहल अछि ! एकरा सबकें हमरा लोकनि अंतरात्मा सं स्वीकार केने छी मुदा लोकक समक्ष ,
“ खाइतो छी आ गुंगुअवैत छी “!
कियो लोक “इडली दोसा” पर कविता मैथिली मे लिखने रहिथ ! इ व्यंग्यात्मक छल ! हम ओहि मैथिली ग्रुप केँ खूब फझइति केलियनी ,” इडली दोसा “ मिथिला व्यंजन थीक ?” हम किछु करि मुदा मैथिली क अवनति हम नहि देखि सकैत छी ! तें हम “ खाइतो छी आ गुंगुअवैत छी “!!
==============
डॉ लक्ष्मण झा ” परिमल ”
साउंड हेल्थ क्लिनिक
डॉक्टर’स लेन
दुमका
झारखण्ड
भारत

Language: Maithili
2 Likes · 231 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
आजादी का जश्न मनायें
आजादी का जश्न मनायें
Pratibha Pandey
काफ़ी कुछ लिखकर मिटा दिया गया ;
काफ़ी कुछ लिखकर मिटा दिया गया ;
ओसमणी साहू 'ओश'
आपको सुसाइड नही डिसाइड करना है लोग क्या कह रहे है इस बात को
आपको सुसाइड नही डिसाइड करना है लोग क्या कह रहे है इस बात को
Rj Anand Prajapati
मेरा स्वर्ग
मेरा स्वर्ग
Dr.Priya Soni Khare
*
*"ओ पथिक"*
Shashi kala vyas
तन मन धन से लूटते,
तन मन धन से लूटते,
sushil sarna
💖
💖
Neelofar Khan
#मुक्तक
#मुक्तक
*प्रणय*
नवयुग का भारत
नवयुग का भारत
AMRESH KUMAR VERMA
ग़ज़ल सगीर
ग़ज़ल सगीर
डॉ सगीर अहमद सिद्दीकी Dr SAGHEER AHMAD
एक दीप दिवाली पर शहीदों के नाम
एक दीप दिवाली पर शहीदों के नाम
DR ARUN KUMAR SHASTRI
मात्र एक पल
मात्र एक पल
Ajay Mishra
🌸प्रकृति 🌸
🌸प्रकृति 🌸
Mahima shukla
जिंदगी में एक रात ऐसे भी आएगी जिसका कभी सुबह नहीं होगा ll
जिंदगी में एक रात ऐसे भी आएगी जिसका कभी सुबह नहीं होगा ll
Ranjeet kumar patre
3665.💐 *पूर्णिका* 💐
3665.💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
जब सारे फूल ! एक-एक कर झर जाएँगे तुम्हारे जीवन से पतझर की बे
जब सारे फूल ! एक-एक कर झर जाएँगे तुम्हारे जीवन से पतझर की बे
Shubham Pandey (S P)
!! ख़फ़ा!!
!! ख़फ़ा!!
जय लगन कुमार हैप्पी
रविदासाय विद् महे, काशी बासाय धी महि।
रविदासाय विद् महे, काशी बासाय धी महि।
गुमनाम 'बाबा'
आपको हम
आपको हम
Dr fauzia Naseem shad
#लेखन कला
#लेखन कला
Radheshyam Khatik
देश चलता नहीं,
देश चलता नहीं,
नेताम आर सी
घाटे का सौदा
घाटे का सौदा
विनोद सिल्ला
हमें पता है कि तुम बुलाओगे नहीं
हमें पता है कि तुम बुलाओगे नहीं
VINOD CHAUHAN
*अच्छे बच्चे (बाल कविता)*
*अच्छे बच्चे (बाल कविता)*
Ravi Prakash
हादसे इस क़दर हुए
हादसे इस क़दर हुए
हिमांशु Kulshrestha
If you can't defeat your psyche,
If you can't defeat your psyche,
Satees Gond
रंजिश हीं अब दिल में रखिए
रंजिश हीं अब दिल में रखिए
Shweta Soni
"मूलमंत्र"
Dr. Kishan tandon kranti
Never ever spend your time on people who has lost the capaci
Never ever spend your time on people who has lost the capaci
पूर्वार्थ
रमेशराज के कहमुकरी संरचना में चार मुक्तक
रमेशराज के कहमुकरी संरचना में चार मुक्तक
कवि रमेशराज
Loading...