“ खाइतो छी आ गुंगुअवैत छी “
{ व्यंग }
डॉ लक्ष्मण झा ” परिमल ”
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इ हमर सौभाग्य जे हमर जन्म मिथिला मे भेल ! पैघ भेलहूँ अन्य राज्य मे नौकरी भेटल ! तीन- तीन वरखक पश्चात स्थानांतरण होइत छल ! कखनो लखनऊ ,हिमांचल प्रदेश ,हरियाणा ,पुणे ,मद्रास आ विभिन्य स्थान पर रहबाक अवसर भेटल ! जाहि परिवेश मे रहित छलहूँ ओहिठामक व्यंजन भेटइत छल ! स्वादिष्ट बड़ होइत छल मुदा खाइतो छलहूँ आ गूंगीएबतो छलहूँ ! मेस मे जखन इडली आ दोसा बनैत छल हम टूटी पड़ैत छलहूँ ! कोंची -कोंची केँ खाइत छलहूँ ! मुदा नाटक आ रामलीला क महारथी लोकक सोझा गुंगुअवैत रहित छलहूँ ,
” इ मिथिला व्यंजन नहि थीक “ ! धूर ! एकर नाम नहि लिय !”
किछु दिनक उपरांत गाम सं कनिया आ बच्चा केँ नेने एलहूँ ! बच्चा दूनू केँ इंग्लिश मिडीअम मे द देलियनि ! समय बितल बच्चा लोकनि “मेरे को ,तेरे को” बाजय लगलाह ! भेष -भूषा सहो बदलि गेलनि ! कनिया क मैथिली सेहो ओझरा गेलनि ! आधुनिक परिधान मे रहित मैथिली भाषा संस्कृति ,रीति रिवाज केँ तिलांजलि ओ द देलनि !
हम चौबीसों घंटा अपन गाल तर तंबाकू ,गुटका ,पान पराग इत्यादि रखने रहित छी ! सब संध्या देशी दारू पिबइत छी ! राति मे कनिया चखना आ नीक -नीक मांसाहारी व्यंजन बनबैत छथि ! मुदा एतबा रहितों हम पहिने कहलहूँ हम कुशल कलाकार छी ! गाम दरभंगा वाला हवाई जहाज सं अबैत छी ! इ मिथिला क सबारी नहि थीक ! हाथ मे अनरॉइड मोबाईल रखने छी ओहो मिथिला मैड नहि थीक ! परिधान जे पहिरैत छी सहो आनठाम बनल अछि !
भाषा संस्कृति रीति रिवाज बिसरि गेलहूँ ! तथापि गुंगएनाई नहि बिसरलहूँ ! लैपटॉप ,आधुनिक टीवी , बच्चा सभक अनलाइन क्लास आ गूगल क सेवा समस्त विश्व ल रहल अछि ! एकरा सबकें हमरा लोकनि अंतरात्मा सं स्वीकार केने छी मुदा लोकक समक्ष ,
“ खाइतो छी आ गुंगुअवैत छी “!
कियो लोक “इडली दोसा” पर कविता मैथिली मे लिखने रहिथ ! इ व्यंग्यात्मक छल ! हम ओहि मैथिली ग्रुप केँ खूब फझइति केलियनी ,” इडली दोसा “ मिथिला व्यंजन थीक ?” हम किछु करि मुदा मैथिली क अवनति हम नहि देखि सकैत छी ! तें हम “ खाइतो छी आ गुंगुअवैत छी “!!
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डॉ लक्ष्मण झा ” परिमल ”
साउंड हेल्थ क्लिनिक
डॉक्टर’स लेन
दुमका
झारखण्ड
भारत