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3 Dec 2022 · 1 min read

खांसी की दवाई की व्यथा😄😄

पड़ी पड़ी थक गई मैं दराज़ में
डेट एक्सपायरी की निकट मेरेआई।
समय पर मेरा रसपान न करो
बोलो समस्या बड़ी विकट मेरे भाई।

कोई कहे कड़वी ,कोई कहे खट्टी
समझे न कोई करूं खांसी की छुट्टी।
मर्जी से आपके घर न पधारी
अब काहे करो मुझ से तुम कुट्टी।

कभी शहद वाली ,कभी अदरक वाली
अपनी तो भैया तासीर है निराली।
गले के किसी के ,जब हम उतर जाये
खराब तबीयत हमने ही संभाली।

Surinder Kaur

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