“ख़्वाहिशों का क़ाफ़िला गुजरता अनेक गलियों से ,
“ख़्वाहिशों का क़ाफ़िला गुजरता अनेक गलियों से ,
सेंध लगाना इन गलियों में ,मुमकिन तो नहीं l
बेहतर है लगाम दे ख़्वाहिशों की गलियों को ,
पूरी हो जाये सारी ख़्वाहिशे ,ऐसा हो पाना मुमकिन तो नहींl
नीरज कुमार सोनी
“जय श्री महाकाल”