ख़्वाब में पास थी वही आँखें ।
ग़ज़ल
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ख़्वाब में पास थी वही आँखें ।
याद में रात भर जगी आँखें ।।
कुछ भी कहते हुये डरी आँखें ।
आपके साथ ही हॅंसी आँखें ।।
क्यों सताते हो बेवजह हमको ।
वार करते सदा दिखी आँखें ।।
जब भी देखा तुम्हें सनम हमने ।
इक कशिश सी भरी लगी आंखें ।।
हौसला हम कभी न छोड़ेंगे ।
साथ अपने चलें बड़ी आँखें ।।
तुम कहाँ हो करीब तो आओ ।
ढूँढती हैं तुम्हें मेरी आँखें ।।
ज्योटी श्रीवास्तव (jyoti Arun Shrivastava)
अहसास ज्योटी 💞 ✍️