इक परिन्दा ख़ौफ़ से सहमा हुुआ हूँ
इक परिन्दा ख़ौफ़ से सहमा हुुआ हूँ
वक़्त-ओ-हालात से टूटा हुुआ हूँ
चाहतों ने पंख कतरे प्यार के यूँ
टूटकर मैं खुद में ही बिखरा हुुआ हूँ
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इक परिन्दा ख़ौफ़ से सहमा हुुआ हूँ
वक़्त-ओ-हालात से टूटा हुुआ हूँ
चाहतों ने पंख कतरे प्यार के यूँ
टूटकर मैं खुद में ही बिखरा हुुआ हूँ
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