ख़ूबसूरत लम्हें
हर खूबसूरत लम्हें को मैंने सम्भाल रखा है,
ज़िन्दगी जीने के लिए तेरा ख़्याल रखा है।
समझ जाते हो तुम अब अनकही बात ,
दिल में प्यार का घरौंदा डाल रखा है ।
यह जो मुस्कान है मेरे चेहरे पर आज तलक,
मेरी हर चाहत बन कर तुमने संभाल रखा है।
ज़िम्मेदारियों का बोझ तो बहुत था मगर,
ज़िम्मेदारी को तुमने प्यार से बेमिसाल रखा है।
झांका जो दिल के झरोखे से दिल में मैंने,
सदा काँटों को भी गुलाब सा लाल रखा है।
डॉ दवीना अमर ठकराल ‘देविका’