“ख़ूबसूरत आँखे”
दुनिया मे सबसे खूबसूरत आंखें है तुम्हारी,
तस्वीर भी देखूं तो मुझे ही निहारी।
इतनी गहरी है आँखे तुम्हारी,
नदियाँ, झील, समन्दर से गहरी।
तुम्हरी आंखों में एक उम्मीद बसती है,
एक अदृश्य डोरी सी बंधती है।
इतना लंबा मौन आखों में रहती है,
फिर भी हर पल प्यार से झलकती हैं।
हम तो फना हो तेरी आँखों को देखकर,
न जाने कैसे तुम आइना देखते हो।
आँखों के आगाज से ही मुहब्बत होती है,
पलकें झुकाते हो तो कयामत होती है।
बंद करूँ पलकें तो तेरी तस्वीर बन जाती है,
जब खोलूँ आंखें तो एक आंसुओं की लकीर बन जाती है।
बात आँखों की सुने तो दिल मे उतर जाती है,
शब्दों का क्या, वो कहकर मुकर जाती हैं।
तेरी आंखों से तेरे दिल का हाल पता चलता है,
खामोश रहकर भी अल्फाज़ो का पता चलता है।
लबों से ना कह पाये आखों से कहने दो,
बात बड़ी लंबी है आंखों के पनाहों में रहने दो।
ढूढ़ते क्या हो मेरी आँखों मे ,
आंखों में उतर कर देखो तेरा ही बसेरा है।
ए समन्दर मैं तुमसे वाकिफ नही हूँ,
पर जिनसे मुझे प्यार है वो तुमसे भी गहरी है।
ए सावन हम तुमसे वाकिफ नही है,
पर जिनसे मुझे प्यार है उनकी आंखों में बरसातें देखी हैं।
रातों में नींद नही आती तेरे ख्वाबों का लालच देती हूं,
तेरे ख्वाबों के लालच में काजल लगाती हूं।
मन करता है आंख भर कर देख लुँ तुम्हें,
पर आंख भर आती हैं नजरें मिलाने में।
सागर से गहरी है आपकी आंखें,
डर लगता हैं डुबा न लें आपकी आंखें।
सामने न हो तो तरसती है आँखे,
याद में तेरी बरसती हैं आंखे।
यूँ तो मंजर तमाम कैद होंगी आँखों मे तेरे,
पर ख्वाब तुम्हारी ही सजाती हैं आंखें।
मिला ताउम्र सुकून तेरे पलको के दरमियाँ,
अपनेपन का एहसास दिलाती हैं आंखें।
तुम्हारी खूबसूरत आंखों की दीद हो जाये ,
कसम चाँद की मेरी ईद हो जाये।
आँखों की तेरी कशिश खीचती है,
जादू सा है तेरी खूबसूरत आँखें।
सपने भी उतरना चाहे तेरी आँखों में,
बहुत खूबसूरत हैं तेरी आंखें।।
लेखिका:- एकता श्रीवास्तव।
प्रयागराज✍️