ख़ुशामद
रॉबिन नेपाल उत्तर प्रदेश के सीमा पर स्थित एक छोटे से गांव शंकरपुर में रहता था वह थारुआदिवासी बाहुल्य गांव है।
रॉबिन उड़ीसा के कौंध जन जाति से सम्बंधित था उसके पूर्वज रोजी रोटी कि तलाश में नेपाल पहुचे जहाँ से बाद में भारत नेपाल सीमा पर स्थित गांव शंकरपुर में बस गए ।
थारू नेपाल कि सम्पन्न जन जाती है जमीन जायदाद के मामले में थारू सबसे ऊपर आते थे लेकिन इतने शौकीन कहे या सज्जन कि उनकी जमीनों पर आधुनिक होशियार लोगो ने कौड़ियों के मोल कब्जा कर लिया ।
रॉबिन के पिता मोलहु ने बहुत मेहनत मसक्कत से अपनी पहचान इतनी दूर आकर बना पाने में सफल सफलता पाई थी मोलहु सनातन धर्म के पक्के अनुयायी थे और पूजा पाठ एव हिन्दू मान्यताओं में बहुत विश्वास रखते थे लेकिन उनकी मृत्यु के बाद उनके बेटे सुखेंन ने क्रिश्चियन धर्म अपना लिया था और उसका नाम रोबिन हो गया ।
रॉबिन के क्रिश्चियन धर्म अपनाने के बाद उसके सम्पर्क में क्रिश्चियन धर्म गुरुओं का आना जाना लगा रहता रॉबिन अंग्रेजी स्टाइल में बोलता एव घर का रहन सहन भी अंग्रेजियत में रचा बसा दिया था ।
रॉबिन का परम मित्र था कुलभूषण दोनों कि दोस्ती का मिशाल लोग एक दूसरे को देते रॉबिन एव कुलभूषण सूर्योदय से लेकर रात्रि शयन से पहले तक साथ ही साथ रहते दोनों ने साथ साथ मिलकर खेती किसानी से सम्बंधित सामग्रियों कि दुकान खोल रखी थी जो दोनों कि ईमानदार दोस्ती एव मेहनत के संयुक्त प्रायास से बहुत अच्छी चल रही थी जिसके कारण दोनों के माली हालात बहुत अच्छी थी।
गांव एव आस पास के लोग रॉबिन और कुलभूषण कि दोस्ती कि मिशाल देते वही दोनों की आर्थिक प्रगति एव माली हालात से रस्क रखते और गाहे बगाहे ऐसी कोशिश करते कि दोनों कि दोस्ती में दरार पड़ जाय लेकिन दोनों के बीच विश्वास का स्तर इतना मजबूत था की किसी की दाल नही गलती।
रॉबिन को पड़ोस के गांव बुझियारी के दरस कि लड़की बेला से एकतरफा प्यार हो गया बेला जब साप्ताहिक बाज़ार के दिन बाज़ार आती तब रॉबिन दुकान कुलभूषण को सौंप बेला के पीछे पीछे घूमता एव उसके करीब पहुंचने की कोशिश जुगाड़ में लगा रहता ।
कुलभूषण को जब यकीन हो गया की उसके मित्र रॉबिन के लिए बेला बहुत महत्त्वपूर्ण है एव उज़के बिना रॉबिन अपनी जिंदगी में कुछ भी कर सकने में सफल नही हो सकता यानी रॉबिन इश्क मोहब्बत के मोह पास में जकड़ चुका है ।
उसने बेला के परिवार वालो के विषय मे बिना रॉबिन से कुछ बताये जानकारियां एकत्र करने लगा कुलभूषण को जब यह जानकारी हुई की बेला का बाप एवं भाई परले दर्जे के शराबी है और उसके भाई भी बाप के नक्से कदम पर ही चलता है सिर्फ बेला ही किस्मत से शराबी नाथू के परिवार में अच्छाई थी कुलभूषण को मित्र के आशिकी के जुनून का रास्ता मिल गया ।
मित्र रॉबिन से बेला के पारिवारिक स्थिति का हवाला बताते हुये सुझाव दिया कि बेला के पिता नाथू एव भाई रेवा को किसी ना किसी बहाने शराब पीने के लिए आमंत्रित करें और चापलूसी कि सारी सीमाएं लांघ #कर गधे को बाप #बनाने के लिए प्रयास करे।
रॉबिन को बात समझ मे आयी उसने मित्र कुलभूषण के सुझाव के अनुसार नाथू के विषेश मित्र दारू दावत के दैनिक हमसफ़र कानू से मिलकर होली पर नाथू एवं रेवा को निमंत्रित किया ।
कानू ने नाथू एवं रेवा पिता पुत्र को होली पर आमंत्रित करने से पर राबिन कि विनम्रता धन दौलत का बखूबी बखान किया और उसके बाद होली का न्यवता दिया।
रॉबिन के निमंत्रण को कानू की नम्रता द्वारा निवेदन एव रेवा इनकार नही कर सके ।
होली के दिन नाथू एव रेवा रॉबिन के घर पहुंचे वैसे तो होली रॉबिन नही मनाता था मगर इश्क के जुनून में उसने होली मनाने का फैसला किया था और उत्सव के लिए जाती धर्म कि कोई बाधा नही होती कानू ,नाथू, रेवा के पहुँचने पर रॉबिन ने दोनों का बहुत गर्म जोशी से स्वागत किया और अंग्रेजी दारू कबाब के साथ छक कर पिलाया नाथू के लिए तो जैसे लाटरी ही लग गयी वह बोला रॉबिन बेटा तुम रोज हमारे घर आया करो वही बैठेंगे यारी के दो चार घूंट पियेंगे रॉबिन को मुँह मांगी मुराद मिल गयी वह मित्र कुलभूषण से राय मशविरा करने के बाद रोज शराब कि बोतल लेकर नाथू के घर शाम को पहुंच जाता और नाथू रेवा पिता पुत्र को दारू पिलाता और खुद भी पिता लेकिन उसे कोई नशा नही होता उंस पर तो बेला के इश्क का नशा छाया था ।
अतः वह बेला पर ही डोरे डालता धीरे धीरे नाथू एव रेवा रॉबिन के गुलाम बन गए मुफ्त की दारू जो उन्हें पिलाता# गधे को बाप# बनाने के लिए राबिन ने मन पसंद चारा दारू और कबाब डालता
अवसर का लाभ उठाकर रॉबिन बेला एक दूसरे के बहुत करीब आ गए।
एक वर्ष बाद साप्ताहिक बाज़ार के दिन रॉबिन ने बेला से पास के चर्च जाकर विवाह कर लिया और नाथू के घर शाम का जाना बंद नाथू को जब सच्चाई कि जानकारी हुई तब वह गुस्से से लाल तमतमाता हुआ रॉबिन के दुकान पर पहुंचा उस समय कुलभूषण भी वही बैठा था नाथू रेवा यानी पिता पुत्र साथ ही थे ने रॉबिन को फरेबी धोखेबाज आस्तीन का सांप जाने क्या क्या कहना शुरू किया।
मित्र को अपमानित होता देख कुलभूषण बोला ध्यान से सुनो मेरे मित्र रॉबिन ने कोई अपराध नही किया है उसने तो सिर्फ प्यार किया है दुर्भाग्य से या सौभाग्य से इसने जिससे प्यार किया वह तुम्हारी बेटी बेला है इसने तुम्हारी कमजोरी शराब को सहारा बनाकर अपने प्यार को हासिल किया क्या बुरा किया कुछ भी हासिल करने के लिए वक्त पर# गथे को भी बाप बनाना पड़ता है # रॉबिन ने भी यही किया है कोई गलती नही किया है मेरे मित्र ने वैसे भी तुम पियक्कड़ बाप बेटे बेला कि शादी कही अच्छे जगह कर पाते क्या ?
शुक्र है रॉबिन का जिसने बेला से प्यार कर उसकी जिंदगी नरक होने से बचा दिया।
अब तुम बाप बेटे जाओ और अपने दारू शराब के लिए कोई और व्यवस्था खोजो बेला को सुख चैन से जीने दो।
लज्जित होकर रेवा और नाथू बोला बेटे रेवा नशा इंसान को जानवर बना देती है नशा किसी भी चीज का हो देखो शराब ने हमे जानवर बना दिया जिसे अपने नशे के लत में अपनी इज्जत बेटी का ही ख्याल नहीं रहा।।
नन्दलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर गोरखपुर उत्तर प्रदेश।।