ख़ुद को ही ख़ुद का सगा कीजिये
आप चिढ़ते हैं मुझसे चिढ़ा कीजिये,
चिढ़के पर दोस्त-से मत दिखा कीजिये!
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बेवफ़ाई जो करनी,तो खुल के करें-
मैं ना कहता कि मुझसे वफ़ा कीजिये!
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दोस्ती चाहती सिर्फ़ सच्चा हृदय,
दोस्त से भूलकर मत दगा कीजिये!
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जिसने जन्मा तुम्हें जग में निज कोख से,
फर्ज उसके लिये कुछ अदा कीजिये!
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साथ देगा न कोई जगत् में ‘सरस’,
अब तो ख़ुद को ही ख़ुद का सगा कीजिये!
©सतीश तिवारी ‘सरस,नरसिंहपुर (म.प्र.)