ख़ुदा से सवाल
ओए रब्बा,
मेरी क़िस्मत में
तनहाई ही
लिखी है क्या
जिस्म नहीं
कोई रूह नहीं
परछाई ही
लिखी है क्या…
ना तो कभी
आंखों की नींद
ना ही कभी
दिलों का चैन
मोहब्बत में
दुनिया भर की
रुसवाई ही
लिखी है क्या…
फूलों के
इस मौसम में
झूलों के
इस मौसम में
दूर कहीं
बजती हुई
शहनाई ही
लिखी है क्या…
#Geetkar
Shekhar Chandra Mitra
(A Dream of Love)