Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
6 Jun 2020 · 1 min read

ख़ुदग़र्ज़ हूं मैं

मुझे मालूम है कि मैं बहुत ख़ुदग़र्ज़ हूं।
किसी का बोझ हूं किसी का कर्ज हूं।
इश्क में जलता चिराग़ मत समझो
मोहब्बत ना भले मगर तेरा तो फर्ज हूं।

ना जीत पाया मैं कभी
किंतु विजय का हार हूं।
नौका धारा से पार कराऊं
मैं तो इक पतवार हूं
ना मोहबत में समझना
पागल हूं मर्यादा भूलकर
मैं हरेक वक़्त तेरा हूं राही
अरे मैं तेरा अधिकार हूं।

गर मैं पत्थर का छोटा टुकड़ा
तो मुझे दबा कर सड़क बनाओ।
पत्थर क्या मंजिल बन पाए
मुझको कुचलो तो मंजिल पाओ।
काश मैं पत्थर होता
तुमसे यह कह पाता
बहुत सूकुं पाता है पत्थर
टुकड़े टुकड़े बिखरने पर
जड़ दिया जाता है दीवारों पर
किन्तु बहुत दर्द होता है उसको
इस तरह निखरने पर
पत्थर की ख्वाहिश होती है
दब दब कर मैं सड़क बनाऊं
और जो मुझे चुभा ले तलवा में
मैं उसे मंजिल तक पहुंचाऊं।
काश मैं पत्थर बन पाऊं ।।

दीपक झा रुद्रा

Language: Hindi
2 Likes · 1 Comment · 241 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
4025.💐 *पूर्णिका* 💐
4025.💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
बचपन जी लेने दो
बचपन जी लेने दो
Dr.Pratibha Prakash
कब मेरे मालिक आएंगे!
कब मेरे मालिक आएंगे!
Kuldeep mishra (KD)
Experience Life
Experience Life
Saransh Singh 'Priyam'
आजादी की कहानी
आजादी की कहानी
ओमप्रकाश भारती *ओम्*
A Dream In The Oceanfront
A Dream In The Oceanfront
Natasha Stephen
इस क़दर
इस क़दर
Dr fauzia Naseem shad
दूर जा चुका है वो फिर ख्वाबों में आता है
दूर जा चुका है वो फिर ख्वाबों में आता है
Surya Barman
हमारी आखिरी उम्मीद हम खुद है,
हमारी आखिरी उम्मीद हम खुद है,
शेखर सिंह
।। कसौटि ।।
।। कसौटि ।।
विनोद कृष्ण सक्सेना, पटवारी
पिता
पिता
Swami Ganganiya
मंजिल का आखरी मुकाम आएगा
मंजिल का आखरी मुकाम आएगा
कवि दीपक बवेजा
समय के पहिए पर कुछ नए आयाम छोड़ते है,
समय के पहिए पर कुछ नए आयाम छोड़ते है,
manjula chauhan
🙅दूसरा पहलू🙅
🙅दूसरा पहलू🙅
*प्रणय प्रभात*
सहज रिश्ता
सहज रिश्ता
Dr. Rajeev Jain
ग़म भूल जाइए,होली में अबकी बार
ग़म भूल जाइए,होली में अबकी बार
Shweta Soni
इस दिल में .....
इस दिल में .....
sushil sarna
मुझमें गांव मौजूद है
मुझमें गांव मौजूद है
अरशद रसूल बदायूंनी
स्वतंत्रता सही मायने में तभी सार्थक होगा....
स्वतंत्रता सही मायने में तभी सार्थक होगा....
Ajit Kumar "Karn"
कली को खिलने दो
कली को खिलने दो
Ghanshyam Poddar
* लोकतंत्र महान है *
* लोकतंत्र महान है *
surenderpal vaidya
"बदलाव"
Dr. Kishan tandon kranti
हां वो तुम हो...
हां वो तुम हो...
Anand Kumar
जो हैं आज अपनें..
जो हैं आज अपनें..
Srishty Bansal
*नहीं हाथ में भाग्य मनुज के, किंतु कर्म-अधिकार है (गीत)*
*नहीं हाथ में भाग्य मनुज के, किंतु कर्म-अधिकार है (गीत)*
Ravi Prakash
अवधपुरी की पावन रज में मेरे राम समाएं
अवधपुरी की पावन रज में मेरे राम समाएं
Anamika Tiwari 'annpurna '
अहोई अष्टमी का व्रत
अहोई अष्टमी का व्रत
Harminder Kaur
कोई जब पथ भूल जाएं
कोई जब पथ भूल जाएं
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
आज रविवार है -व्यंग रचना
आज रविवार है -व्यंग रचना
Dr Mukesh 'Aseemit'
भाव गणित
भाव गणित
Shyam Sundar Subramanian
Loading...