ख़ामोश ही रहना अच्छा है..
मैं अपने जज़्बात लिखूं,
या, मैं अपने हालात लिखूं।
मैंने तो मोहब्बत दिल से किया,
फिर मैं, क्यूं ? अपनी औकात लिखूं।
मोहब्बत की शुरुआत लिखूं
या उसकी बातें खास लिखूं
पर जो चोट लगी है दिल पर आज
इस दिल की, क्या मैं बात लिखूं
अब ना कहना कुछ अच्छा है,
ना लिखना कुछ अच्छा है।
हर गम को छुपा के सीने में,
ख़ामोश ही रहना अच्छा है।