ख़ामोश हर ज़ुबाँ पर ख़ामोश हर ज़ुबाँ पर ज़ख्मों का स्वाद है । इंसानियत के धावों से फिर रिस्ता मवाद है । डाॅ फौज़िया नसीम शाद