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13 Oct 2024 · 1 min read

ख़ामोश इन निगाहों में

ख़ामोश इन निगाहों में
शिकवे हज़ार हैं,
ज़ाहिर न कर सके कभी
दिल की ज़रुरतें।
डाॅ फ़ौज़िया नसीम शाद

1 Like · 9 Views
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