ख़ामोशी से बातें करते है ।
ख़ामोशी से बातें करते है,
तन्हाई में खुद से कहते है,
एक तुम ही हो पास मेरे,
एहसासों से छलते रहते हो,
हर पल तुझको सहते रहते है,
अंतर्मन से लड़ते रहते है,
कौन हो तुम ?
कहाँ हो तुम?
मेरे दिल में आकर बस गये हो,
आँखों में उलझें रहते हो,
प्यारी-प्यारी यादों के संग,
अपनापन कहते रहते हो,
रहती अकेली जब भी मैं ,
तुझमे मैं रम ही जाती,
ख्वाब को बुनती जाती,
मीठी-मीठी बाते तेरी,
मैं ही सिर्फ सुन ही पाती,
अनसुना करती तुझको जब भी,
ओझल हो जाते जाने कब,
क्यों इतना मुझे सताते हो ?
बैरी बन के आते,
मुझसे पूछें कोई तेरा ,
किसने जाना ?
पता ठिकाना,
किसके ख्वाबों में,
कहाँ खोयी हो ?
बाबली-सी हो गई हो।
रचनाकार –
बुद्ध प्रकाश,
मौदहा हमीरपुर।