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12 May 2020 · 1 min read

ख़ामोशी सुन लो!

ये खामोशी सुन लो,
असीम कोलाहल स्थापित है।

है शीतल ये अमृत सी,
पूरा हलाहल समाहित है।

उग्र है ये ज्वाला सी,
लहरों सी प्रवाहित है।

पढ़ लो नैन लेखनी को,
शब्दों से तीव्र प्रभावित है।
-शशि “मंजुलाहृदय”

Language: Hindi
4 Likes · 4 Comments · 328 Views
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