ख़ामोशी सुन लो!
ये खामोशी सुन लो,
असीम कोलाहल स्थापित है।
है शीतल ये अमृत सी,
पूरा हलाहल समाहित है।
उग्र है ये ज्वाला सी,
लहरों सी प्रवाहित है।
पढ़ लो नैन लेखनी को,
शब्दों से तीव्र प्रभावित है।
-शशि “मंजुलाहृदय”
ये खामोशी सुन लो,
असीम कोलाहल स्थापित है।
है शीतल ये अमृत सी,
पूरा हलाहल समाहित है।
उग्र है ये ज्वाला सी,
लहरों सी प्रवाहित है।
पढ़ लो नैन लेखनी को,
शब्दों से तीव्र प्रभावित है।
-शशि “मंजुलाहृदय”