ख़ुशी मिले कि मिले ग़म मुझे मलाल नहीं
ग़ज़ल
ख़ुशी मिले कि मिले ग़म मुझे मलाल नहीं
ये फ़ैसले है मेरे रब के तो सवाल नहीं
हवाएँ भी हो मुख़ालिफ़¹ रवानी² में मौजें³
करें वो ग़र्क़⁴ सफ़ीने⁵ को ये मजाल नहीं
गुज़ार लेना गवारा मुझे है फ़ाक़े⁶ से
नही है रिज़्क⁷ वो मंज़ूर जो हलाल नहीं
यक़ीं मुझे है मुकम्मल⁸ मेरा सफ़र होगा
दिखा ही देगा वो जुगनू अगर मशाल नहीं
मैं रौशनी भी लुटाऊँगा देख लेना तुम
अभी उरूज⁹ है मेरा कोई ज़वाल¹⁰ नहीं
‘अनीस’ होंगे किसी दिन तो मुत्तफ़िक़¹¹ ये लोग
ज़रूर आज मेरा कोई हम-ख़याल¹² नहीं
– अनीस शाह ‘अनीस ‘
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