ख़त
इश्क़ में लिखे ख़त जलाए नहीं जाते
जलना ख़ुद को होता है, काग़ज़ जलाए नहीं जाते
कुछ राज रखे जाते हैं, सीने में दबाकर भी
यूँ ही हर किसी को , दिल खोलकर, बताए नहीं जाते
है आप का शौक़, जब जी चाहें फ़रमा ले
वैसे कई बार के सताये गये, और सताये नहीं जाते
बस एक बार गुज़र जाना, इश्क़ के तूफाँ से
ये क़िस्से फिर बार बार, दुहराये नहीं जाते
डा राजीव “सागरी”