ख़तम न हो इंतजार –
हर पल हर घड़ी इंतजार रहे ,,ता उम्र यह बरकरार रहे।
काश दुःख की घड़ियां बीत जाएं ,खुशी के इंतज़ार में।
जुदाई महसूस न हो मिलन के इन्तज़ार में।
हार से डटकर मुकाबला करे मन जीत के इंतज़ार में।
बीमारियों से डटकर लडे तन स्वस्थ रहने के इन्तज़ार में।
विपत्तियों में भी मुस्कुराता रहे मन सुख के इंतज़ार में।
युद्ध में भी तत्पर रहे योद्धा विजय के इंतज़ार में।
हाथ में परचम लेे रहे अग्रसर सदैव सफलता के इंतज़ार में।
प्रति पल बढ़ाता रहे क़दम मंज़िल के इंतज़ार में।
कोई भी सैनिक गिनता रहे सांसे, विजय घोष के इंतज़ार में।
अपनी मां के आंचल में लिपटे हुए सपनों के धागों को यादों के इंद्रजाल में सजने के इंतज़ार में।
मरते हुए सैनिक की धड़कन चलती रहे प्यारे तिरंगे के सम्मान भरे कफ़न के इंतज़ार में।
बीत जाए वो अंधेरी काली रात अमावस की पूर्डिमा के खूबसूरत चांद के इंतज़ार में।
आंधी से भरी भीषण तूफान वाली रात , प्राची से उषा की मुस्कान के इन्तजार में।
वह परीक्षा वाला दिन परिणाम के इंतज़ार में।
कठिन संघर्ष से भरा दिन प्यार भरी चुस्की या झप्पी के इंतज़ार में।
रेखा यूहीं चलता रहे ज़िन्दगी का कारवां ,अपनों की गोदी में सर रखकर मरने के इंतज़ार में।